यहाँ पर सुबह की दो रकअत नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा तस्वीरों के साथ बताया जा रहा है।
तस्वीर न.1

1-तकबीरःतुल अहराम
यानी नमाज़ पढ़ने की नियत से तस्वीर न.1मे दिखाये गये तरीक़े की तरह सीधे खड़े होकर दोनों हाथों को कानो तक ले जाने के बाद अल्लाहु अकबर कहना। इस तकबीर से ही नमाज़ शुरू होती है। और अगर यह तकबीर न कही जाये तो नमाज़ बातिल है।
तस्वीर न.2

2-क़ियाम
यानी नियत और तकबीरःतुल अहराम के बाद तस्वीर न.2मे दिखाये गये तरीक़े की तरह सीधे खड़े होकर सूरए-अलहम्द व कोई दूसरा सुराह पढ़ना।
तस्वीर न.3

3- रुकूअ
यानी सूरए अलहम्द और दूसरा सूरह पढ़ने के बाद तस्वीर न.3मे दिखाये गये तरीक़े की तरह दोनो घुटनें पर हाथ रख कर झुकना और सुबहाना रब्बियल अज़ीमि व बिहम्दिहि पढ़ना।
तस्वीर न.4

4-सजदा
यानी हर रकअत मे रुकूअ के बाद तस्वीर न.4 मे दिखाये गये तरीक़े की तरह अपनी पेशानी(माथे), दोनो हाथों की हथेलियों,दोनों घुटनो और दोनों पैरों के अंगूँठोँ के सिरों को जानमाज़ पर रखना। मगर पेशानी के लिए ज़रूरी है कि किसी ऐसी चीज़ पर रखी जाये जिस पर सजदा करना सही हो। और इस हालत मे सुब्हानः रब्बियल आला व बिहम्दिहि पढ़ना। हर रकअत मे दो सजदे करना ज़रूरी है।
तस्वीर न. 5

5- तस्वीर न.5 मे दिखाये गये तरीक़े की तरह सीधे खड़े हो कर दूसरी रकअत के लिए एक बार फिर सूरए अलहम्द और उसके बाद कोई दूसरा सूरह पढ़ना।
तस्वीर न.6

6-क़ुनूत
यानी दूसरी रकअत मे रुकूअ मे जाने से पहले तस्वीर न.6 मे दिखाये गये तरीक़े
की तरह खड़े हो कर अल्लाह से दुआ माँगना।
तस्वीर न.7

7- तस्वीर न.7 मे दिखाये गये तरीक़े की तरह दूसरी रकअत के लिए रुकूअ करना और ज़िक्र रुकूअ को पढ़ना यानी यह कहना सुब्हाना रब्बियल अज़ीमि व बिहम्दिहि।
तस्वीर न.8

8-दूसरी रकअत मे रुकूअ के बाद तस्वीर न.8 मे दिखाये गये तरीक़े की तरह अपनी पेशानी(माथे), दोनो हाथों की हथेलियों,दोनों घुटनो और दोनों पैरों के अंगूँठोँ के सिरों को जानमाज़ पर रख कर पहली रकअत की तरह दो सजदे करना और सजदे की हालत मे इस ज़िक्र को पढ़ना सुब्हानः रब्बियल आला व बिहम्दिहि। लेकिन याद रहे कि पेशानी के लिए ज़रूरी है कि किसी ऐसी चीज़ पर रखी जाये जिस पर सजदा करना सही हो।
तस्वीर न.9

9- तशःहुद व सलाम
यानी दूसरी रकअत के दोनों सजदों के बाद तस्वीर न.9 मे दिखाये गये तरीक़े की तरह बैठ कर यह पढ़ना अशहदु अंल्लाह इलाहः इल्लल्लाहु वहदःहु लाशरिकःलःहु व अशहःदु अन्नः मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मःदिंव वा आलि मुहम्मद। अस्सलामु अलैका अय्युहन्नबिय्युहु व रहमःतुल्लाहि व बरःकातुहु। अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस्सालिहीन। अस्सलामु अलैकुम व रहमःतुल्लाहि व बरःकातुहु। इसके बाद दो रकअत नमाज़ तमाम है
allah ne hamain apni ebadatt ke liye bheja hai
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