सोमवार, 16 जुलाई 2012

dost aur dosti part 2

दोस्ती की शुरुआत एक अहसास है इस बात का के हमारी और हमारे दोस्त के विचार आपस में मिलते है जैसे जैसे समय बीतता है यह अहसास बढ़ता जाता है और विश्वास की शक्ल ले लेता है ! कभी कभी हम दोस्ती में इतना आगे निकल जाते हैं की अपने दोस्त से हर एक बात शेयर करने लगते हैं चाहे वो बात ऐसी हो के अगर दोस्त किसी को बता दे तो हमारी प्रतिष्टा और मान सम्मान की हानि हो जाए ! प्रश्न उठता है की फिर दोस्ती कि क्या सीमा हो या दोस्ती किस हद तक रखी जाए ? हज़रत अली ने कहा है कि- दोस्ती की हद यह है कि इतनी दोस्ती रखो के अगर कल ये दोस्त शत्रु हो जाए तो तुम डर के साथ जीवन ना व्यतीत करो के अगर इसने हमारे भेद खोल दिए तो किया होगा? जिस तरह दोस्ती की सीमाए हैं उसी तरह शत्रुता की भी सीमाए है एसा ना हो कि हम शत्रुता में सीमाए भूल जाए! तो अब प्रश्न यह उठता है कि शत्रुता की क्या सीमा है ? हज़रत अली कहते हैं की- शत्रुता में (दुश्मनी में) इतना आगे ना बढ़ जाओ के अगर कल ये शत्रु तुम्हारा मित्र बन जाए तो तुम्हे अपने अतीत मे की हुई घटिया हरकतो की वजह से उससे मित्रता में शर्मिंदगी हो और सोचो के काश मैंने इसके साथ इतना बुरा आचरण ना किया होता !..

सोमवार, 25 जून 2012

dost aur dosti

हजरत अली से किसी ने पूछा या अली - दोस्त और भाई में किया अंतर है ? हज़रात ने उसे उत्तर दिया कि - दोस्त हीरा होता है और भाई सोना . पूछने वाले ने दोबारा प्रश्न किया - या अली ऐसा क्यूँ है ?हजरत ने उत्तर दिया- ऐसा इसलिए क्यूंकि सोना टूट जाये तो दोबारा उसे जोड़ा जा सकता है और जुड़ कर वो पहले जैसा होजाता है लेकिन हीरा अगर टूट जाये तो फिर दोबारा नहीं जुड़ता ! दोस्ती ही इन्सान को बना देती है और दोस्ती ही इन्सान को बिगड़ देती है हमारे जीवन में दोस्त का बहुत महत्वहै .घर के बाहर स्कूल कॉलेज हो या कोई और जगह दोस्त के बिना सब कुछ सूना सूना लगता है और हमारे समय का एक बड़ा भाग दोस्तों के साथ बीत ता है !हज़रात अली कहते हैं कि- निर्धन वो नहीं के जिसके पास पैसा न हो निर्धन वो है कि जिसका कोई दोस्त न हो ! लेकिन हर दोस्त के लिए ये बात नहीं कही जा सकती इसलिए कि हम देखते हैं बहुत से अच्छे घर के बच्चे अपने बुरे दोस्तों कि संगत में बुरे कामों में संलिप्त हो जाते हैं और अपने घर परिवार और समाज की बदनामी का कारण बन जाते हैं ! इसी लिए हज़रात अली ने कहा है कि अपने लिए अच्छे दोस्तों का चुनाव करो क्यूंकि हर इन्सान को उसके दोस्तों को देख कर पहचाना जाता है और उसके चरित्र का आंकलन भी उसके दोस्तों के चरित्र को देख कर किया जाता है !.