शनिवार, 13 मार्च 2010

पैग़म्बरे इस्लाम के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर विशेष चिठा

नई सुबह का संदेश गया, नयो युग आरंभ हो गया, क्षितिज में नये सूरज उदय हुआ लोगों ने अपने घरों की छतोंसे एक प्रकाश देखा जो बीबी आमिना के घर से आसमान तक फैला हुआ था और लोगों ने उस प्रकाश को एक दूसरेको दिखाया। हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे आलेही सल्लम का जन्म चमत्कारों के साथ हुआ।कसरा के अत्याचारों को ऊंचे ऊंचे महल ढ़ह गये, वर्षों से जल रहा भ्रष्टाचार और हिंसा का अग्निकुंड बुझ गया। प्रेमके सूर्य के उदय होने के साथ अत्याचारग्रस्त एवं निराश लोगों के घर प्रकाशमयी हो गये और नई बसंत त्रितु काआरंभ हुआ। उनका नाम मोहम्मद है अर्थात जिसकी प्रशंसा की गयी हो। उन पर पैग़म्बरी समाप्त हुई है वह शुभसूचना देने वाले अंतिम ईश्वरीय दूत हैं। वह ऐसे ईश्वरीय दूत हैं जिनके सीने में ब्रहृमांड का हर रहस्य ज्ञान नीहितहै तथा वह द्वेषपूर्ण हृदयों का सत्य की ओर मार्गदर्शन करते हैं। वह ईश्वर ने, जिसने उन्हें अपना अंतिम दूत चुनाहै,क़ुरकने मजीद में सूरए तौबा की १२८वीं आयत में कहता है: निश्चितरूप से जो पैग़म्बर तुम्हारे ही बीच से तुम्हारेमार्ग दर्शन के लिए आया है तुम्हारी पीड़ायें दुःख उसके लिए कठिन हैं और वह तुम्हारे मार्गदर्शन पर आग्रहकरता है तथा मोमिनों अर्थात ईश्वर पर ईमान रखने वालों के प्रति कृपालु दयालु है"पवित्र क़ुरआन के सूरए नहलकी १२१वीं आयत में ईश्वर ने यह भी कहा है कि वह अपने पालनहार की विभूतियों के प्रति आभार प्रकट करने वालाथा। ईश्वर ने उसे चुना और सीधे मार्ग की ओर उसका मार्गदर्शन किया" इसके बाद ईश्वर उनका परिचय सर्वोत्तमआदर्श के रूप में कराता है, ईश्वर कहता है" सूरए हशर की सातवीं आयत में पैग़म्बर जो कुछ तुम्हें दें उसे ले लोऔर जिस चीज़ से तुम्हें मना करें उससे रुक जाओ"ईश्वरीय दूतों की विशेषता आंतरिक पवित्रता और सदगुणों तथाईश्वरीय संदेश वही के साथ उनका जुड़ा हागा है। जिन महान हस्तियों ने इतिहास में पैग़म्बरी की पताका लहराया वेअपने जीवन में सत्यता के लिए प्रसिद्ध थे सभी उन्हें पवित्र एवं थाती जानते थे। उनके ईश्वर की ओर निमतुण देनेका आधार वहि अर्थात ईश्वरीय संदेश था। इसी कारण वे वास्तविकता और सुन्दरता से परिपूर्ण थे और उनमें किसीप्रकार की पथभ्रष्ठता नहीं थी। पवित्र क़ुरआन सूरये नज्म की आरंभिक आयतों में इस बिन्दु की ओर संकेत करताहै और पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम के संबंध में कहता है" तारे की सौगंध जब वहडूबता है कि कदापि तुम्हारा मित्र अर्थात मुहम्मद पथभ्रष्ठ नहीं हुआ और ही वह अपने लक्ष्य से दिशाहीन हुआऔर कदापि वह अपनी ओर से कुछ बोलता ही नहीं बल्कि जो कुछ बोलता है वह वहि अर्थात ईश्वरीय संदेश केअतिरिक्त कुछ नहीं होता" पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम अद्वितीय व्यवहार के स्वामीथे और इस संसार में तो उनके जैसा किसी व्यक्ति ने जन्म लिया है और ही लेगा। ईश्वर ने इसी विशेषता केकारण अपने पैग़म्बर की प्रशंसा की है और कहा है" निःसंदेह तुम व्यवहार शालीनता के चरम शिखर पर हो" "तुम महान व्यवहार के स्वामी हो" पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम ने भी कहा है" किमुझे व्यवहार एवं शालीनता को परिपूर्णता तक पहुंचाने के लिए भेजा गया है" इसी कारण अपनी शिक्षाओं मेंअच्छे व्यवहार और नैतिक्ता पर बहुत बल देते और कहते हैं" ईश्वर दयालु है वह प्रतिष्ठा और व्यवहारिक नैतिकमूल्यों को पसंद करता है और तुच्छ कार्य से उसे घृणा है" एक अन्य स्थान पर आप कहते हैं" प्रलय के दिन मोमिनकी तुला में सबसे अधिक भार वाली वस्तु, अच्छा व्यवहार होगा" एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे आलेही सल्लम उस गली से गुज़रे जहां से प्रायः गुज़रा करते थे। लोगों से पूछा कि मेरा एक मित्र था कि जब भीउसके घर के पास से गुज़रता था वह मेरे ऊपर कूड़ा- करकट फेकता था। कई दिन से उसका कुछ पता नहीं है कहांगया है? लोगों ने बताया कि वह बीमार हो गया है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे आलेही सल्लम अपनेकुछ साथियों के साथ उसे के लिए उसके घर गये। बीमार व्यक्ति ने लज्जा से अपनी मां से कहा कि मेरे चेहरे कोढक दो। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम जब उसके घर में प्रविष्ट हुए तो वह अपने कियेपर लज्जित हुआ और पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम के इस व्यवहार से प्रभावितहोकर उसने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। अनस बिन मालिक पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम के प्रेम के एक उदाहरण की ओर संकेत करते हुए कहते हैं" में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे आलेही सल्लम के साथ एक रास्ते से गुज़र रहा था कि आपके कांधे पर मोटी अबा अर्थात विशेष प्रकार का अरबीवस्त्र था। इस बीच रास्ते से एक अरब पहुंचा और उसने पैग़म्बरे इस्लाम की अबा इतनी ज़ोर से खींची किउसका चिन्ह आपकी गर्दन पर पड़ गया। उस अरब ने शिष्टाचार से परे शब्दों में कहा" मोहम्मद आदेश दो कि जोसम्पत्ति ईश्वर के आदेश से तुम्हारे पास है वह मुझे दें" कृपा की प्रतिमूर्ति पैग़म्बर ने अरब के अपमानजनकव्यवहार की अनदेखी कर दी और उस पर प्रेमपूर्ण दृष्टि डाली। उसके बाद आप मुस्कराये और कहा जो कुछ वह चाहरहा है उसे दे दो" पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम ने अपने पावन जीवन के समस्त क्षणोंमें सर्वसमर्थ महान ईश्वर पर भरोसा किया। आप विभिन्न अवसरों पर विवेकपूर्ण सूझ- बूझ एवं अपने कुशलनेतृत्व के साथ यहां तक कि रणक्षेत्र में भी ऊंची आवाज़ में ईश्वर से दुआ करते थे, उसका गुणगान करते थे औरउससे सहायता मांगते थे तथा ईश्वर भी उनकी सहायता करता था। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम असत्य के मुक़ाबले में प्रतिरोध के उत्कृष्ट नमूना थे। पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के समय भ्रष्ठ एवंसमाज में ज़ोरज़बर दस्ती करने वाले एकईश्वरवाद तथा न्यायप्रेम पर आधारित आपके निमंत्रण का विरोध करतेथे परंतु पैग़म्बरे इस्लाम लोगों को शुभ सूचना देने और डराने से पीछे नहीं हटे। सत्य बात कही और उसके मार्ग मेंजमे रहे। ईश्वर के इस दूत ने जब यह देखा कि बनी नुज़ैर और बनी क़ैनक़ाअ ख़तरनाक शत्रु हैं कि जो षडयंत्र करनेऔर विनाशकारी कार्यवाही से नहीं मानेंगे तो उन्हें मदीना से बाहर कर दिया और महत्वपूर्ण मज़बूत ख़ैबर दुर्गपर विजय प्राप्त कर ली। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम ने हज के अवसर परअत्याचारियों एवं असत्य गुटों से विरक्तता का नारा लगाया ताकि मनुष्य हर समय में बुराई के प्रतीकों से दूर रहे।पैग़म्बरे इस्लाम अपने अनथक प्रयास से मानव जीवन की कठिन गुत्थियों की सुलझा और मनुष्यों को सत्य कामार्ग दर्शन कर सकें। यदि हम सरकार और राजनीति के संबंध में पारदर्शी दर्पण सामने रखना चाहते हैं तो हमेंचाहिये कि पैग़म्बरे इस्लाम के राजनीतिक चरित्र को आदर्श बनायें। आज विश्व, व्यवहार, आध्यात्म और न्याय सेदूर हो गया है। अतः उचित है कि समाज के संचालन में जिन शैलियों का प्रयोग पैग़म्बरे इस्लाम ने किया है उनकाहम अध्ययन करें। विश्व विद्यालय के प्रोफेसर डाक्टर ईज़दानी कहते हैं" ईश्वरीय वास्तविकतायें शिक्षायें हरप्रकार के मनुष्यों के लिए आईं हैं और वह किसी गुट से विशेष नहीं हैं। धर्म के मार्गदर्शन की शैली भी तार्किक एवंसबकी पहुंच में हैं। दूसरा बिन्दु यह है कि धार्मिक शिक्षायें ऐसी हैं जो समाज में संचालन योग्य हैं। यह विशेषताइस्लाम धर्म तथा पैग़म्बरे इस्लाम की पावन जीवनी में भली- भांति स्पष्ट है। पैग़म्बरे इस्लाम ने किसी को वंचितकिये बिना समाज के समस्त वर्गों गुटों को एक दूसरे से निकट कर दिया। उन्होंने बुद्धि के महत्वपूर्ण ध्यान रखाकी भी सुरक्षा की। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम कहते हैं कि हम हर व्यक्ति के साथउसकी बुद्धि के अनुरुप लेन- देन करते हैं और यह परिपूर्णता का कारण है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि आलेहि सल्लम ने मनुष्यों की क्षमताओं योग्यताओं को ईश्वरीय शिक्षाओं के परिप्रेक्ष्य में निखारा। समय, औरस्थान, के महत्तव और विचार- विमर्श की आवश्यकता को ध्यान में रखना पैग़म्बरे इस्लाम की मूल जीवन शैलियोंमें रहा है"

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