एक शख़्स हज़रत रसूले ख़ुदा से बेहद मोहब्बत करता था, और तेल (रौग़ने ज़ैतून) बेचने का काम किया करता था। उस के बारे में यह ख़बर मशहूर थी कि वो सिदक़े दिल से रसूले ख़ुदा (स.) से बेपनाह इश्क व मोहब्बत करता था और आँ हज़रत (स) को बहुत चाहता था, अगर एक दिन भी आँ हज़रत को नहीं देख़ता तो बेताब हो जाता था और जब भी किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर जाता था तो पहले मस्जिद में या फ़िर रसूले ख़ुदा के घर या फ़िर जहां भी रसूले ख़ुदा होते थे वहां पहुंच जाता था और आँ हज़रत की ज़ियारत से मुशर्रफ़ होता था और फ़िर अपने काम के लिए निकलता था, जब कभी पैग़म्बर (स.) के इर्द गिर्द लोग होते और वो लोगों के पीछे इस तरह होता कि पैग़म्बर को न देख पा रहा हो तो लोगों के पीछे से गर्दन ऊँची करता कि एक बार ही सही जमाल पैग़म्बर पर निगाह डाल सके।
एक दिन हज़रत रसूले ख़ुदा (स.) उसकी तरफ़ मुतवज्जे हुए कि वो शख़्स लोगों के पीछे से उनको देखने की कोशिश कर रहा है। पैग़म्बर (स.) भी बढ़कर उसके मुक़ाबिल आ गए ताकि वो शख़्स आसानी के साथ उनको देख़ सके। वो शख़्स उस दिन पैग़म्बरे (स.) को देखने के बाद अपने काम के लिए गया, थोड़ी देर न हुई थी कि वापस आया।
जैसे ही रसूले ख़ुदा (स.) की दूसरी बार, उस दिन उस पर नज़र पड़ी हाथ के इशारे से उसको करीब बुलाया। वो रसूले ख़ुदा (स.) के पास आकर बैठ गया। हज़रत रसूले ख़ुदा (स.) ने फ़रमाया, आज की तेरी रविश दूसरे और दिनों से क्यों मुख़्तलिफ़ है, तू पहले एक मर्तबा आकर अपने काम के लिए चला जाता था लेकिन आज जाने के बाद फ़िर दोबारा आ गया आख़िर क्यों?
उसने कहा कि ऐ रसूले ख़ुदा (स.) हकीकत यह है कि आज मेरे दिल में आप की मोहब्बत इतनी ज़्यादा हो गई है कि मैं आज अपने काम के लिए न जा सका, मजबूर होकर वापस आ गया।
रसूले ख़ुदा (स.) ने उसके लिए दुआए ख़ैर की, वो उस दिन अपने घर गया लेकिन फ़िर दोबारा दिख़ाई न दिया। चन्द दिन गुज़र गए लेकिन उसकी कोई ख़बर न मिल सकी। पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने अपने असहाब से उसके बारे में पूछा तो सबने यही कहा कि एक मुद्दत से हम भी उसको नहीं देख रहे हैं। आँ हज़रत (स) ने इरादा किया कि जाकर उसकी ख़बर लें, और मालूम करें कि उस पर क्या परेशानी नाज़िल हुई है। आप आपने चन्द दोस्त और असहाब के साथ रोग़ने ज़ैतून के बाज़ार की तरफ़ तशरीफ़ ले गए, जैसे ही उस शख़्स की दुकान पर पहुंचे देखा। दुकान बन्द है और कोई नही है। उसके हमसाये से मालूम किया तो उसने कहा, ऐ रसूले ख़ुदा (स.) उसका कुछ दिन पहले इन्तिकाल हो गया है। ऐ रसूल ख़ुदा (स.) वो एक अमानतदार और बहुत सच्चा और बहुत अच्छा इन्सान था लेकिन उसमें एक बुरी ख़सलत थी।
रसूल (स.) ने फ़रमाया, वो कौन सी बुरी ख़सलत थी ?
उसने कहा, वो बाज़ बुरे कामों से परहेज़ नहीं करता था
मसलन औरतों की फ़िक्र में रहता था।
रसूले ख़ुदा (स.) ने फ़रमाया, ख़ुदा उस को बख़्श दे और उसको अपनी रहमत में शामिल करे। वो मुझे इतना ज़्यादा चाहता था और मुझसे मोहब्बत करता था अगर वो ग़ुलाम और कनीज़ फ़रोशी भी करता तो ख़ुदा उस को बख़्श देता।
सोमवार, 15 मार्च 2010
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