आइए आज के लिए जिएंमनुष्य का जीवन एक बहती हुई नदी की भॉंति है। जो भी उसमें क़दम रखता है उसका जीवन हर पल आगे बढ़ता रहा है। जीवन एक स्थाई परिवर्तन है और जो चीज़ निश्चित और स्थाई है वो हमारा "आज" है। हमें "आज" के लिए जीना चाहिए। जी हॉ! जो लोग भविष्य की दूर_दराज़ आकांक्षाओं तथा ख़ुशियों के लिए अपना "आज" बर्बाद कर लेते हैं, वे अपने आज के व्यवहार से , कि जो उनके लिए प्रसन्नता दायक हो सकता है अनमिज्ञ रहते हैं।
हर मनुष्य यहॉ तक कि सबसे ग़रीब व्यक्ति भी अपनी वर्तमान क्षमताओं एवं संभावनाओं तथा अपने ईमान से ऊर्जा लेकर प्रतिदिन और अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में भी प्रसन्न और ख़ुश रह सकता है। बहुत से लोग इसलिए ख़ुश नहीं होते क्योंकि वे वर्तमान में जीवन नहीं बिताते। उन्हें निरन्तर अतीत का दुख होता है और भविष्य की चिन्ता लगी रहती है। परन्तु हमें आज की प्रसन्नता एवं जीवन की सुन्दरता को कल की कठिनाइयों एक समस्याओं के बारे में सोच कर हाथ से गंवाना नहीं चाहिए। कल के बारे में तो हमें कोई ज्ञान नहीं है। फिर ऐसे कल के लिए जिसके बारे में हम कुछ जानते ही नहीं परेशान होने से क्या लाभ?अर्थात_ सादी कल बीत चुका और आने वाला कल मौजूद नहीं है। इन दोनों के बीच के अवसर से पूरा लाभ_ उठाओ। इस संदर्भ में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का कथन है जो दिन अभी नहीं आया है उसकी चिन्ता से अपने आज की चिन्ता में वृद्धि न करो।हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़र्माते हैं_ अपने ह्रदय को अतित के दुखों से मत भरो क्योंकि यह तुम्हें भविष्य की तैयारी करने से रोक देता है।और पूरे वर्ष की चिन्ता से अपने आज की चिन्ता में वृद्धि करो क्योंकि आज के लिए तुम्हारे सामने काफ़ी परेशानियॉ हैं। यहॉं पर एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठता है भविष्य के बारे में विचार और कार्यक्रम बनाने की जो बातें की जाती हैं, फिर उनका क्या होगा? क्योंकि इसके लिए अतीत और भविष्य के बारे में सोच _ विचार करना आवश्यक है।इस प्रश्न के उत्तर में हम कहना चाहेंगे कि अपने अतीत से पाठ लेना और भविष्य के लिए कार्यक्रम बनाना, दुखों, चिन्ताओं और परेशानी में समय बिताने से भिन्न है। भविष्य के लिए एक उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ना और प्रयास करना बिल्कुल सही है परन्तु शर्त यह है कि उसकी चिन्ता में फसे न रह जाएं। हमें इस वास्तविकता को समझना चाहिए कि उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उठाए गए हर क़दम का मूल्य स्वंय उस उद्देश्य के बराबर है। यहॉ पर एक बात जो हमें याद रखनी चाहिए वो यह है कि यदि आप केवल उद्देश्य के बारे में सोचें और उसी मार्ग पर आगे बढ़ेंगे तो समझ लीजिए कि आप विभिन्न प्रकार की लालसा का शिकार हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में जब आप अपने उद्देश्य तक पहुंच जाएं गे तो आप यह नहीं समझ पाएंगे कि अब क्या करें क्योंकि आप को भविष्य के बारे में बहुत अधिक सोचने की आदत पड़ गई है और निरन्तर किसी बेहतर भविष्य की लालसा में रहते हैं और यह बात इतनी आगे बढ़ जाती है कि आप का पूरा जीवन इसी उधेड़_बुन में बीत जाता है। ठिक उस व्यक्ति की भॉति जो भोजन करते समय इस चिन्ता में रहता है कि बाद में कुछ मीठा भी खाने को मिलेगा या नहीं? इसी चिन्ता में वो भोजन का स्वाद नहीं उठा पाता है। ऐसे लोगों को सदैव यह चिन्ता लगी रहती है कि आने वाला पल उनके लिए कैसा होगा? जब उन्हें उनका उद्देश्य प्राप्त हो जाता है तो भी वे समझते हैं कि अभी कुछ कमी रह गई है, इसी कारण वे सन्तुष्ट नहीं हो पाते जिसके कारण ख़ुशी का आभास भी नहीं कर पाते हैं।मनुष्य और अन्य प्राणियों के बीच सबसे महत्वपूर्ण अन्तर उसकी विचार एवं रचनात्मक शक्ति है। विचारों की रचनात्मकता, नई नई वस्तुओं की खोज तथा उत्पादन और नए विचार सभी एक प्रकार की रचनात्मक शक्ति हैं। कम या अधिक सभी लोगों का मस्तिष्क रचनात्मक होता है परन्तु महत्व इसका है कि इस शक्ति को प्रयोग में लाया जाए। जिन लोगों ने अपनी इस शक्ति को निखारा है वे हर समस्या का समाधान खोज लेते हैं और जब उनके लिए कोई अप्रिय घटना घटती है तो अपनी रचनात्मक शैली द्वारा अपनी नकारात्मक भावनाओं को भली और समारात्मक भावनाओं में परिवर्तित कर लेते है। सकारात्मक विचार रखने वाले लोग निरन्तर इस प्रयास में लगे रहते हैं कि जो भी अवसर हाथ लगे उससे लाभ उठाकर जीवन में ख़ुशियॉ भर लें। न उन्हें बीते हुए कल का दुख होता है न ही आने वाले कल की चिन्ता। वे अपना आज सवारने में लगे रहते है। और जिसका आज सवर जाए उसका जीवन ख़ुशियों से भरा होता है। वो ईश्वर पर भरोसा करके आगे बढ़ता है और जो कुछ उसे प्राप्त होता है उसमें ख़ुश रहता है। अन्त में हम यही कहेंगे कि अपने कल से पाठ अवश्य लीजिए पर उसका रोना न रोइए और अपने भविष्य के लिए प्रयास कीजिए पर उसके लिए इतनी न कीजिए कि आप का आज परेशानी में बीत जाए। |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें