पुराने समय की बात है। एक माली रहता था जो सुगंधित व सुदंर फ़ुलवाड़ियों व क्यारियों की बहुत अच्छे ढंग से देखभाल करता था। वृद्ध होने के बावजूद वह प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व बाग़ में टहलता और ताज़ा हवा का आनंद लेता। वह फूल पौधों को देखता और उन्हें सूंघा करता था। इसलिए सदैव प्रफुल्लित रहता था। यही कारण था कि मित्र उसे प्रफुल्लित वृद्ध कहते थे। उसका भी अन्य लोगों की भांति यह विश्वास था कि जो व्यक्ति भोर के समय उठे और कुछ देर फूलों के पास रहे और घास पर चले तो कभी भी बूढ़ा नहीं होगा और सदैव प्रफुल्लित रहेगा। माली ने अपने उपवन में नाना प्रकार के फूल लगा रखे थे और उनमें सबसे अधिक उसे लाल रंग का गुलाब पसंद था जो दिखने में भी सुंदर और सबसे अधिक सुगंधित होता है। वह हर दिन फूल और पौधों को देखता और एक एक फूल को सूंघता और स्वयं से कहताः बुलबुल यदि लाल गुलाब पर सम्मोहित होते हैं तो स्वाभाविक बात है। लाल गुलाब जीवन को आनंद देता है और इससे मन व आत्मा को शांति मिलती है।
एक दिन माली सदैव की भांति सुर्योदय से पूर्व बाग़ में टहलते हुए अपनी पसंद वाले लाल गुलाब तक पहुंचा। उसने देखा कि गुलाब की टहनी पर बैठा एक बुलबुल गुलाब की पंखुड़ियों को एक-एक कर नोच रहा है। बुलबुल अपने सिर को पंखुड़ियों में छिपाकर चहक रहा था। वह इस प्रकार देख रहा था मानो फूल के पास रह कर प्रफुल्लता का आभास कर रहा हो। बुलबुल चहक रहा था और पंखुड़ियों को एक एक कर नोच रहा था यहां तक कि पूरे फूल से उसने पंखुड़ियां नोच डालीं। वृद्ध माली थोड़ी देर खड़ा यह दृष्य देखता रहा। फूलों के निकट बुलबुल को प्रसन्नचित पाकर स्वंय भी प्रफुल्लित था। किन्तु फूल के पास बिखरी पंखुड़ियों के कारण दुखी था। थोड़ी देर के पश्चात बुलबुल ने जब यह समझ लिया कि माली उसे देख रहा था, फुर से उड़ गया।
दूसरे दिन माली ने फिर यही दृष्य देखा। उसने देखा कि बुलबुल पंखुड़ियों को नोच रहा है, चहक रहा है और जैसे ही उसे देखा, देखते ही उड़ गया। माली अपने मनपसंद फूलों की यह दुर्गत देख कर दुखी हुआ और स्वयं से कहने लगा कि बुलबुल को लाल गुलाब पर मोहित होने का अधिकार है किन्तु फूल, देखने और सूंघने के लिए होता है न कि नोचने के लिए। यह न्याय नहीं है। मैंने इन फूलों के लिए बहुत प्रयास किए हैं। बुलबुल इसे क्यों नष्ट कर रहा है?
तीसरे दिन जब माली ने यह देखा कि बुलबुल चहक-चहक कर ज़मीन पर गिरी हुई पंखुड़ियों से बात कर रहा है तो वह क्रोधित हो उठा और कहाः जो बुलबुल अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करे उसका दण्ड पिंजरा है। उसने लाल गुलाब की झाड़ में जाल बिछाकर बुलबुल को पकड़ लिया और पिंजरे में बंद कर दिया और कहाः तुमने अपनी स्वतंत्रता के महत्व को नहीं समझा। अब पिंजरे में रहोगे तो पंखुड़ियों को नोचने का परिणाम समझ में आएगा। बुलबुल ने पिंजरे में बंदी बनाए जाने पर विरोध जताया और कहाः हे प्रिय मित्र हम और तुम दोनों ही लाल गुलाब पर मोहित हैं। तुम फूलों की सिंचाई करके मुझे प्रफुल्लित करते हो और इसके बदले में मेरे चहकने से आनंदित होते हो। मैं भी तुम्हारी भांति स्वतंत्र होना चाहता हूं और बाग़ का चक्कर लगाना चाहता हूं। तुमने किस तर्क के आधार पर मुझे बंदी बनाया है। यदि मेरी चहचहाहट सुनना चाहते हो तो यह जान लो कि तुम्हारा बाग़ मेरे लिए घोसले के समान है मैं उसमें दिन रात चहकूंगा। यदि और किसी कारण से मुझे बंदी बनाया है तो कृपा करके मुझे बताओ।
माली ने उत्तर दियाः जहां तक आवाज़ और चहचहाहट का संबंध है मैं इस संदर्भ में तुमसे सहमत हूं। किन्तु तुमने मेरे प्रिय फूलों को क्षति पहुंचाकर मेरा चैन छीन लिया है। स्वतंत्र अवस्था में तुम चहचहाते समय अपना नियंत्रण खो देते हो, मेरे फूलों को नोच डालते हो। यह दण्ड तुम्हारे ग़लत कार्य के कारण है ताकि दूसरे इससे पाठ लें।
बुलबुल ने कहाः हे निर्दयी व्यक्ति! तुम मुझे बंदी बना कर मेरे मन और आत्मा को आघात पहुंचा रहे हो और दण्ड की बात कर रहे हो? क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा पाप अधिक है। क्योंकि तूने मेरे मन को आहत किया है जबकि मैंने केवल एक फूल को नोचा है।
बुलबुल की बातों का माली के मन पर प्रभाव पड़ा। वह पक्षी की बातों से इतना प्रसन्न हुआ कि उसे स्वतंत्र कर दिया। बुलबुल उड़ कर लाल गुलाब की टहनी पर बैठ गया और वृद्ध व्यक्ति को संबोधित करके उसने कहाः तुमने मेरे साथ उपकार किया मैं इसका पारितोषिक देना चाहता हूं। जहां तुम खड़े हो वहीं ज़मीन के नीचे सोने के सिक्कों से भरा एक बर्तन गड़ा है। उसे निकाल कर मौज उड़ाओ।
माली ने ज़मीन को खोदा तो सिक्कों से भरा बर्तन देखकर उसने बुलबुल से कहाः मुझे आश्चर्य इस बात पर है कि तूने भूमिगत बर्तन को तो देख लिया किन्तु उस जाल को न देख सके जिसे मैंने बिछाया था।
बुलबुल ने कहा इसका दो कारण हैः बुद्धिमत्ता के बावजूद इस बात की संभावना रहती है कि एक जीव अपने भाग्य के कारण किसी समस्या में घिर जाए। दूसरे यह कि मुझे स्वर्ण से प्रेम नहीं है इसलिए दृष्टि पड़ने के बावजूद इसे महत्व नहीं देता किन्तु चूंकि लाल गुलाब से मुझे प्रेम है और इस प्रेम के कारण मैं उस पर इतना मोहित हो उठा कि मेरी समस्त इंद्रियां लाल गुलाब की ओर केन्द्रित हो गईं और मैं तेरा जाल न देख पाया। जो भी चीज़ अपनी सीमा को नहीं पहचानती उसे कष्ट पहुंचता है यहां तक कि सीमा से अधिक प्रेम का भी यही परिणाम होता है। बुलबुल यह कह कर फुर से उड़ गया ताकि फूलों के सौन्दर्य से आनंदित हो।
कहावत
फ़ारसी भाषा की एक कहावत हैः
تخم مرغ دزد، شتر دزد میشہ
तुख़्मे मुर्ग़ दुज़्द, शुतुर दुज़्द मीशे
मुर्ग़ी का अण्डा चुराने वाला अंततः ऊंट की चोरी करता है,
पुराने समय की बात है कि एक लड़का था जिसे यह नहीं ज्ञात था कि चोरी किसे कहते हैं। उसे तला हुआ अंडा या अंडायुक्त भोजन बहुत पसंद था। एक दिन जब उसे तला अंडा खाने की बहुत अधिक इच्छा हुई तो उसने अपनी मां से कहाः मां अंडा तल कर दीजिए। उसकी मां ने उत्तर दियाः बाद में तल दूंगी। इस समय अंडे समाप्त हो चुके हैं। मुर्ग़ी के पुनः अंडा देने तक प्रतीक्षा करनी होगी। वह बच्चा दो दिन प्रतीक्षा नहीं करना चाह रहा था इसलिए घर से बाहर निकल गया। उसके पड़ोसी ने काबुक में कई मुर्ग़ियां और मुर्ग़े पाल रखे थे। वह बच्चा पड़ोसी के काबुक की ओर गया और उसकी जाली से हाथ डालकर उसने दो तीन अंडे चुरा लिए और घर लौट आया। संयोगवश दोपहर का समय था और मौसम गर्म था उसका पड़ोसी घर के कमरे में आराम कर रहा था इसलिए पड़ोसी के घर का कोई सदस्य उस बच्चे को अंडा चोरी करते नहीं देख पाया। बच्चा प्रसन्न होकर अपने घर लौट गया। घर पहुंच कर उसने अंडे मां को दिए और उसे तलने के लिए अनुरोध किया। मां ने जब अंडे देखे तो पूछा कि ये अंडे कहां से लाए? बच्चे ने हंस कर उत्तर दिया कि पड़ोसी के काबुक से। मां ने बच्चे से यह कहने के बजाए कि यह बुरा कर्म है, यह चोरी है, अंडे ले जाकर वापस करो, कुछ क्षण सोच कर बच्चे से पूछाः किसी ने तुम्हें देखा तो नहीं? बच्चे ने उत्तर दियाः नहीं।
मां ने प्रेमभाव से कहाः ठीक है अंडे तल दे रही हूं किन्तु यह याद रहे कि तुमने पड़ोसी के काबुक से अंडे उठा कर भला कर्म नहीं किया है। बच्चा यह समझ गया कि पड़ोसियों को उसके कर्म के बारे में ज्ञात नहीं होना चाहिए।
कुछ दिनों के पश्चात फिर अंडे समाप्त हो गए। इस बार यह बच्चा दबे पांव पड़ोसी के काबुक तक पहुंचा और आस पास उसने भलिभांति देख लिया कि कोई देख तो नहीं रहा है। उसने काबुक से कुछ अंडे उठाए और तेज़ी से घर भागा।
जब उसने अंडे मां के हवाले किए तो मां ने कोई विरोध नहीं जताया। केवल यह पूछा कि कहीं पड़ोसी ने तो नहीं देखा? और फिर प्रेमभाव से कहाः बेटा यह अच्छा कर्म नहीं है। कुछ मिनट में अंडा तल कर आ गया। मां और बेटे दोनों ने खाया।
धीरे धीरे बच्चा बड़ा हो रहा था। कभी कभी इधर उधर से कुछ न कुछ चोरी करता रहता। चोरी की गई वस्तुओं को या घर ले आता या फिर अपने मित्रों के बीच बांट कर मज़े उड़ाता। कुछ वर्षों के पश्चात वह छोटा बच्चा युवा हो गया और फिर एक दिन चोरी के अपराध में उसे पकड़ लिया गया। उसने इस बार एक घर से ऊंट की चोरी की थी और ऊंट के स्वामी और आस पास के लोगों ने उसे चोरी करते पकड़ लिया था। उसने सोचा भी नहीं था कि पकड़ा जाएगा। भागने का बहुत प्रयास किया किन्तु जितना भागने का प्रयास करता उतना ही पीटा जाता। अंततः उसे न्यायधीश के पास ले जाया गया।
न्यायधीश ने चोरी सिद्ध हो जाने के पश्चात क़ानून के अनुसार चोर के हाथ काटने का आदेश दिया। जब जल्लाद हाथ काटने पहुंचा तो चोर ने गुहार लगाई कि मुझे मेरी मां से मिलने दिया जाए। न्यायधीश के आदेश पर चोर की मां को बुलाया गया। चोर ने कहाः यदि दंडित करना है तो मेरी मां को दंडित किया जाए क्योंकि मां ने उस समय मुझे नहीं रोका जब मैं छोटी छोटी चोरियां किया करता था। उसने मुझे अंडे चोर से एक माहिर चोर बनाया है।
न्यायधीश चुप रहा। मां ने अपने अपराध को स्वीकार किया। न्यायधीश का मन उस बेचारे चोर के लिए पसीज गया और उसने उसे क्षमा कर दिया तथा चोर की मां को जेल में डालने का आदेश दिया। इस घटना के पश्चात जब भी यह कहना हो कि किसी व्यक्ति की छोटी ग़लतियों की उपेक्षा करने से वह बड़ी ग़लतियां में लिप्त हो सकत है तो यह कहा जाता हैः
تخم مرغ دزد، شتر دزد میشہ
तुख़्मे मुर्ग़ दुज़्द, शुतुर दुज़्द मीशे
मुर्ग़ी का अण्डा चुराने वाला अंततः ऊंट की चोरी करता है,
सोमवार, 11 अक्तूबर 2010
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